Wednesday, 22 July 2015

तरदा टैट  !! 

तरदा जो पीते हैं ,अलग मिक़दार है उसकी ,
जिसका रंग है रूमानी और तरंग है रूमानी ,
यहां मै का प्याला नहीं  है न सागरो - मीना ,
जब पी लिया इसको , तो यारो और क्या पीना ?

उतरती ही नहीं ये , गर ढंग से चढ़ जाए ,
फिर खौफ है किसका , चाहे मौत ही आये , 
खुशी-ओ-रंज  बेमानी , सारे तंज बेमानी ,
चश्मे-नम  भी नूरानी ,दिले-गम भी नूरानी 

फिर क्यों फकत , किसी का फातिहा पढना ,
जब तुम भी हो फानी , और हम भी हैं फानी 
होगा रुखसती के दिन खाली हाथ ही मिलना ,
जब तुम भी हो खाली और हम भी हों खाली  

2 comments:

  1. तारदा ऐसे ही लिखते रहो और हम पढ़ते रहें ।

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  2. तारदा ऐसे ही लिखते रहो और हम पढ़ते रहें ।

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