Friday, 29 August 2014

दु :ख


हंसती हुई आँखों की 

पलकों की कोरों पे ,
गम से भरी आंसुओं की
 कुछ बूँदें तो होंगी ,
लरजते हुए इन 
मासूम लबों पर ,
झूठी ही सही 
पर मुस्कान तो होगी ,
 फ़ज़ाओं में फैली
 इस तीरगी के पीछे ,
शुआओं  से उजाले की 
उम्मीद  तो होगी ,
दरिया-ए  -गम में 
बहुत डूबते हैं ,
तलातुम से बाहर 
निकलने की खातिर ,
हिम्मत की कोई
कश्ती तो होगी ,
ख़ाना -ए -दिल में 
बहुत कोटरे हैं ,
खुशी की किसी में 
हरकत-ए -कल्ब  तो होगी  

(फ़ज़ाओं -वातावरण ,तीरगी -अन्धेरा ,शुआओं -किरणें ,तलातुम-मंझधार ",खाना -ए-दिल "-दिल के हिस्से , हरकत-ए -कल्ब -दिल की धड़कन )  

                                                                ~ तरदा 


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