
हंसती हुई आँखों की
पलकों की कोरों पे ,
गम से भरी आंसुओं की
कुछ बूँदें तो होंगी ,
लरजते हुए इन
मासूम लबों पर ,
झूठी ही सही
पर मुस्कान तो होगी ,
फ़ज़ाओं में फैली
इस तीरगी के पीछे ,
शुआओं से उजाले की
उम्मीद तो होगी ,
दरिया-ए -गम में
बहुत डूबते हैं ,
तलातुम से बाहर
निकलने की खातिर ,
हिम्मत की कोई
कश्ती तो होगी ,
ख़ाना -ए -दिल में
बहुत कोटरे हैं ,
खुशी की किसी में
हरकत-ए -कल्ब तो होगी
~ तरदा
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