Tuesday, 13 May 2014

कविता

शैशव अवस्था से ही मनुष्य कबिता की ओर आकर्षित होता है, इस अवस्था में  कविता उसके जीवन में लोरी के रूप में  आती है । ज्यों ज्यों अवस्था बढती जाती है वह शब्दों को समझने लगता है उसे बालपन की कवितायें रट जाती हैं । यह हरेक के साथ होता है, चाहे वह किसी भी भाषा को बोलता हो अथवा उसका शिक्षण किसी भी माध्यम  से हुआ हो, कविता उसके जीवन में  आती ही है । पचास वर्ष पूर्व जिन्होंने सामान्य परिवार मेँ  जन्म लिया उनकी शिक्षा सरकारी स्कूलों में  हुई, जहां  अंग्ऱेज़ी छठी  क्लास से सिखाई जाती थी, उन्होंने "Twinkle twinkle little star, Johny Johny yes papa, Baba black sheep " इत्यादि कविताएं शायद ही सीखी होँ, पर हिन्दी  की बहु चर्चित कविताऐं स्कूलों के पाठ्यक्रम में    बहुत समय तक रहा करती थीं । आजकल तो प्राइवेट स्कूलों में हर साल किताबें बदल जाया करती हैं इसलिये  बच्चों को यह याद नहीं रहती हैं । 


बालपन से लेकर अग्रणी क्लासों  तक जो कवितायें सीखीं पढ़ीं उनमें से जो याद हैँ उन्हें प्रस्तुत कर रहा हूँ, मेरे समवयस्क लोग इनमेँ कुछ और इजाफा कर सकते हैं , जिससे इन कविताओं को संजो कर रखा जा सके :-



१- लाठी लेकर भालू आया, छम  छम  छम ,

    ढोल बजाता मेंढक आया ,  ढम  ढम  ढम ,
    मेंढक ने ली मीठी तान , और गधे ने गाया गान  । 


२- उठो लाल अब ऑंखें खोलो, पानी लाई हूं मूँह धो लो ,

   बीती रात कमल दल फूले, उनके ऊपर भौंर झूले,
   चिड़ियाँ चहक रही पेड़ों पर, बहने लगी हवा अति सुन्दर,
   नभ में न्यारी लाली छाई, धरती ने प्यारी छवि पाई
   भोर  हुआ सूरज उग आया, जल में पडी सुनहरी छाया,
   ऐसा सुन्दर अवसर मत खोओ, मेरे प्यारे अब मत सोओ  ॥ 


३- छत पर मेरा घोंसला था, घोंसले मेँ  दो बच्चे थे,

    बच्चे चूँ चूँ करते थे, अब वहां नहीँ हैं, क्या तुमने उनको देखा है 


४- मुझको आता हुआ देखकर चिड़ियाँ क्योँ उड़ जाती हैं,

    मेरे सींचे हुए आम की इन बौराई डालों पर ----------


५- अम्मा जरा देख तो ऊपर , चले आ रहे हैं बादल,

    गरज रहे हैं बरस रहे हैं, दीख रहा है जल ही जल  । 


६- हठ कर बैठा चाँद एक दिन माता से यह बोला,

    सिलवा दे माँ  मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला ,
   सन  सन करती हवा रात भर, ज़ाडे  से मरता हूं, 
   ठिठुर ठिठुर कर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ,


७- --------------------------थे ताकत के पुतले बापू,

    सदा सत्य अपनाते बापू, सच्ची राह दिखाते बापू 


८- सिंहासन हिल उठे राज वंशों ने भ्रुकुटी तानीँ  थी ,

    बूढ़े भारत में  आयी, फिर से नई जवानी थी ,
    चमक उठी  सन सत्तावन में वह  तलवार  पुरानी  थी,
    बुंदेले, हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी ,
    खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी ॥ 


९- चेत  करो अब चेत करो, चेतक  की टाप सुनाई दी,

    भागो भाॉगो अब भाग चलो, भाले की नोक दिखाई दी,
    चेतक क्य बडवानल है, उर की आग जला दी है -------


१०- बीती विभावरी जागो री,

     अम्बर पनघट में  डुबो रही, तारा घट ऊषा नागरी ,
     खग कुल, कुल कुल सा बोल रहा, किसलय का अँचल  डोल रहा,
     लो यह लतिका भी भर लाई, आँखोँ में धरे विहाग री ॥ 


११- बुलबुलों का व्याकुल संसार, बना बिथुरा देती अज्ञात ,

     न जाने सरस सलिल में कौन, निमंत्रण देता मुझको मौन 


     उक्त कविताओं में कतिपय अज्ञात  कवि, सुभद्रा कुमारी चौहान , श्याम नारायण  पाण्डे , जय शंकर प्रसाद  व सुमित्रा नन्दन पंत,कविवृन्द  शामिल हैं । कुछ कविताओं में त्रुटि हो सकती है, कुछ अपूर्ण हो सकती हैं, उम्र के इस पड़ाव पर जो भी याद है उसे उकेरा है , इन कविताओं  के शुद्धिकरण एवं पूर्णता हेतु सभी का  सहयोग चाहिये---कृपया हाथ बढ़ाएं । 






1 comment:

  1. Dil खुश ho गया बचपन ki यादें taza हो gai

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