
I C U से ...................
( वर्ष 2009 , में काफी बीमार पडा , अस्पताल में , I C U में भर्ती किया गया , वहां तन्हाइयों में समय कटता न था ऐसे में कागज़ पर कुछ उकेरने लगा । )
यूं यकबयक बीमार हो जाना भी मेरे हक़ में हुआ ,
जिस्म के अंदरूनी हिस्सों से, आज में वाकिफ हुआ
इक जिगर है , खबर है जिसको जिस्म की जरूरियात की ,
ये ही बतलाता है क़ि कमी कहाँ है , और किस बात की ,
देखिये इसके नाम का कितना असर है ,
जो भी प्यारा है वही लख्ते जिगर है ,
इसका मजबूत रहना बहुत है लाजमी ,
तभी तो कहलाता जिगर वाला आदमी ॥ ॥
जिस्म की हर जुम्बिश के पीछे इक धडकता दिल ही तो है ,
खींचता जिस्म से लहू को, सींचता जिस्म को ही है
इसकी हरकतों के किस्से दीवाने ओ ' शायर कह गए ,
कुछ ने की शायरी - रुबाई , दीवान बहुत से लिख गए, ॥ ॥
इक मगज है ,गज़ब है जिसमें मक्कारियां भरी हुई,
परेशां करने को बहुत सी अय्यारियां भरी हुई ,
इसके इक खाने में यादें भरी रहती हैं सदा ,
दूसरे में सोचों की मौजें उठती हैं बाकायदा ॥ ॥
तितलियों के पंख सा , फैलता सिकुड़ता है फेफड़ा ,
हड्डियों के कफ़स में सीना ताने है खडा ,
धौकनी चलती है इसकी , फुसफुसाहटों से भरी हुई ,
दीखती है इसके बदन पर सांस भी सांस लेती हुई ,
फूलने पिचकने की हरक़त गर कभी गाफिल हुई ,
या खुदारा ! रूह तब जिस्म से बेदखल हुई ॥ ॥
इक है मेदा , पैदा जिसमें, होता जिस्मानी तेज़ाब ,
लजीज खानों के टुकड़ों के टुकडे करता बेहिसाब ,
कूटता , पीसता लुगदी बना कर ,अंतड़ियों में फेंक देता है जनाब
मै के क़तरे उतरते हलक से , इठलाते हुए रुकते यहाँ ,
फिर रगों में दौड़ते मगज तक, दीवाना कर देते जहाँ
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