Monday, 3 November 2014

जाड़ों के दिन



रमा को सड़क के किनारे पिलपाई पर बैठे हुए बहुत देर हो चुकी थी , उसने सड़क के किनारे भीड़े से हेमा को उतरते देखा तो वह वहीं से चिल्लाई "  हद्द हाण  दी तूने तो यार !! भौत्ती देर कर दी तूने तो ! में कब से यहां बैठी ठैरी और ये मैरानी अब आ रहीं ठैरी  ! "
हेमा, " क्या करूँ यार ! मेरे घर में भी न , कोई काम नहीं करता, हाँ नहीँ  तो !           कल स्कूल से आई तो ईजा  ने कहा बर्तन माज़ दे , मैंने माज दिए               फिर पढने बैठ गई , बाद में ईजा ने डाँट  लगाई ,,,,,,,,
रमा : क्यों ?
हेमा : बर्तन किसी ने भी टांजे नहीं ठैरे ,,,
रमा : क्यों ? तेरी छोटी बहन नहीं टांज  सकती थी क्या ?
हेमा : अरे यार , उसकी भली चलाई , कल शाम उसको ईजा ने छत से                   कपडे उचाने के लिए  कहा होगा , उन मैरानी को इस पर गुस्सा आ             गया , उसने छत से कपडे उचाकर  इधर उधर फोक दिए , अब सूबे                मेरी सलवार नईं  मिल री ठैरी , सारे घर में  ढुनादून  मच गई ठैरी ,            तब जा के  ट्रंक  के पीछे मिली , गुजमुजा कर फेंकी ठैरी उसने ,,,,
         ईजा ने उससे कुछ नहीं कहा , लोटे में लाल कोयले रख कर सलवार            में प्रेस  कर दी ,,,,,,
रमा : मैं तो अपना काम खुद देखती हूँ ,, किसी के भरोसे क्या रहना ठैरा ?
हेमा : तेरे घर में मेरी रेखा जैसी बहन नहीं ठैरी ना ! तबी तू इतरा री ठैरी ,,
रमा : अरे ! तू तो सलवार के ऊपर से ही जुराब हाल लाई ! सब हसेंगे रे ! 
हेमा : हसें  मेरी घुत्ती से , हाँ नहीं तो ! ईजा ने कहा था कि , जोते से                   ठोणी  लगेगी करके ,जोंतों के तलौटे पतले हैं करके। ....... 
रमा  : चल अब जल्दी जल्दी , दूसरी घंटी भी बज गई होगी , और ढील होगी तो जीबन्ती मास्टरनी गेट पर ही संटी  लिए मिलेगी ,,
हेमा : हाँ रे ! सीधे पैरों पर ही मारती है चुड़ैल , इसको थोड़ी भी दया ममता नहीं है रे ! ,,
रमा : कहाँ से होगी ? अपने बच्चे होते तो बच्चों के बारे में कुछ समझती !
हेमा : क्यों रे ! इसके कोई संतान नहीं है क्या ?
रमा : तो क्या में झूठ बोल रई ठैरी ? मेरे दाज्यू बता रे ठैरे एक लड़का था वो भी मर गया करके ,,,,,,,
हेमा : पैरों में संटी मारते समय ये भी नहीं सोचती बेशरम कि इस जाड़े में हम लोगों को कितनी लगती होगी, कोई इसे भी मारे तो पता चले चुड़ैल को , हाँ नहीं तो ! 
रमा : उसे कैसे पता चलेगा ? देखती नहीं है वह बिलौज के ऊपर हाफ स्वेटर, उसके ऊपर फूल स्वेटर, उसके ऊपर शॉल ओढ़े रहती है, इसके इलावा वो क्लास में सगड़ भी जलवाती है बल ,,,,,,, 

अब ढलान के पास स्कूल आ रहा था, पता नहीं कौन सी घंटी बज चुकी थी, लड़कियों की भिन्न भिन्न सुनाई दे  रही थी , दोनों सहेलियां कुलाचें भरती प्राथना सभा की और भाग चलीं  । 
                                                                                                  

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