नशा
अनवारे- रब है जिसमें , रंगो- बू नहीं है ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला ॥
शाहिद जगह बता दे जिस ठौर छुप के पी लूँ ,
जिस जगह नज़र है जाती , तेरा ही बोलबाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला ॥
है रूह सबसे हलकी , भारी बहुत जेहन है ,
तालीम जिंदगी भर रहती है पाठशाला
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला ॥
अंगूरी ये नहीं है , जो तोड़ जिस्म रख दे ,
ये सुरूर है रूहानी , मस्ताये पीने वाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला ॥
पतली डोर से साकी ,मुझे चाहे बाँध रखना ,
खिंचता चला चलूँगा , रक्खी जहां ये हाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला ॥
~~~~~~~~ तरदा
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