Monday, 22 September 2014

नशा

नशा 

अनवारे- रब है जिसमें , रंगो- बू नहीं है ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला  ॥ 

शाहिद जगह बता दे जिस ठौर छुप  के पी लूँ ,
जिस जगह नज़र है जाती , तेरा ही बोलबाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला  ॥ 

है रूह सबसे हलकी ,   भारी बहुत जेहन है ,
तालीम  जिंदगी भर  रहती  है  पाठशाला 
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला  ॥ 

अंगूरी ये नहीं है  , जो तोड़  जिस्म रख दे ,
ये  सुरूर है रूहानी , मस्ताये पीने वाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला  ॥ 

पतली  डोर से साकी ,मुझे चाहे बाँध रखना ,
खिंचता  चला चलूँगा , रक्खी जहां ये हाला ,
तेरे नूर से लबालब तेरे नाम का पियाला  ॥ 

~~~~~~~~ तरदा 


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