विरहणी
ओ , को छै तु ! को छै , तसिकै नि आई कर ,
म्यार बेलम कनी , तसिकै नि झस्काई कर ॥
अब बस फाम रैगे , नि लागन म्योरो मन ,
भूली गयूं द्याप्तन , भूली गयूं मै - बाबन ,
मैं अभागी कनि तसिकै नि बोतयाई कर
ओ , को छै तु ! को छै , तसिकै नि आई कर ॥ ॥
ऊखल की धम -धम , मड़ुवौ को मानणा ,
ग्यून में फटक लगूण , निंबुओ को सानण ,
इथकै - उथकैकि सुनै मैकणी नि अल्झाई कर ,
ओ , को छै तु ! को छै , तसिकै नि आई कर ॥ ॥
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(बेलम - किसी तरह काम में मन लगना , झस्काई - डराना ,फाम-याद ,द्याप्तन -देवताओं को , बोतयाई-बहलाना , ऊखल -अनाज कूटने का पत्थर में चौड़ा छिद्र , मानणा - पैरों से रगड़ना , फटक -बड़े चौड़े कपडे से फटकना , अल्झाई - उलझाना )
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