Sunday, 25 May 2014

क्वीड़

 टर्र ,,,टर्र ,,कै  बेर  घंटी बाजि , भ्यार निकलि बेर देखौ ,मोल  थें एक बाबाजी  आई भै ,  " बच्चा  ! बाबा को कुछ खाने को दे, एक गिलास पानी पिला ! " मैंकण गुस्स ऐगे  कुंछा , मैंल  कयो, " अघिल हूँ जाओ  बाबाज्यु , याँ  तुमन हूँ के नि  पकै  राखौ "  पर पछिल बटी घरवळि ऐगे , धर्मपरायण  भै , त  वील द्वि  रवाट  और पांणि  बाबाज्यून  कै खवै दे , खाई पी बेर बाबाज्यू जब हिटण  लागि  त आपुंणि पुन्तुरि  बटी  एक हल्दक जस  गाँठ निकालि बेर घरवळि हाथ में देछ , फिर कूँण लागि , " ब्वारी ! जब मन उदासी जालो त येक एक टुकुड मुुंख में धरि लिए फिर देखिये येक चमत्कार ! ! "  

भितर  एबेर , इनैलि ख्वारपीड़ करी दे कूंछा , " तुम त सदा तस्सै  करछा , कभै को के रूपी ऐ रूँछ , के पत्त लागों ?  खिसै बेर मैंलि कयो , " आजकलाक  बाबानक  के कई जाऔ , आदुक  जेल में छन , आदुक भ्यार रणी रईं  "  खैर , तौ रिसै  बेर  भितर न्हैगे  । 

कुछ दिनन बाद  मैंकण जर जस आई  भै , के काम में मन नि लाग्नेर भै , दवाई  चलिये भै , पर इनन कै फिकर  जसि  लागि , बाबाज्यूक  दिई , गाँठ बटी एक टुकुड तोड़ि बेर , मैंथैं  कयो  "एकैं  मूंख में धरौ , तुमन आराम मिलौल  ! " स्याप और छछूँदरैक  जसि गति हैगे  कूँछा , खाऔ त मन में विशवास  नि भै नि  खाऔ त यो नाराज , अब के कई जाऔ महराज ! फिर  मैंलि विचार करौ , चलो भ्यार  हिट दिनूँ , झगड़ में के फैद ?  
भ्यार ऐ बेर बड़क बोटक तली बैठि गयूं  ।  थ्वाड़ देर में उ टुकुड  याद ऍ , मैंलि मूँख मैं धरौ , मूंख में धरण जानेंकि  देर भै , म्यार कानन में स्यां - स्यां, सुर्र -सुर्र   हूणि बैठ , खोर रिटण  जस लागि , परभंग जस हई गयूं  कूंछा  । थ्वाड़ देर में जब रिंगै कम भई त बड़ाक बोट में बैठी चाड़नेकि आवाज़ सुणी  । ओ  बौज्यू  हो !!! यो तौ उसीकै बलाण  लागि रईं , जसिक हम   बलानू  !!! गज़ब माया छ भाई !!!  नानछना इज  काथ  सुनून  नेर भै  , " कौ  सुआ काथ कौ ,  के कूँ काथ  सारंगी , निर्बुद्धि  राजैकि  काथे काथ  " 


मली , हांगन में बैठी चाड़नाक  क्वीड़ हई भै कूँछा , सबनैकि  क्वां क्वां  लागि भै , क्वे दुसर कें बालाण  नि  दिनेर भै  । जस हमार सैंणी करनी उसै हई  भै , तब सबनहै मलि हाँग में बैठी सिटौल  हकाहाक करण लागि " कौ ऐगो , कौ ऐगो  !! तबजानेर कौ आपुण पाखन समेटि बेर  एक हाँग में बैठि गै । 



घुघुतैलि आपुण ठूँग  आपुण पाँखन में रगड़ी बेर कौ तरफ चाछ , फिर कौ थें पुछण बैठि ," किलै रे कवा ? मूंख में मोस लिपि बेर एतुक दिनन बाद कां बटी ऊनौ छै  ? " 



कौ :- अरे के नि पुछौ हो घुघुतज्यू , दिल्ली में छ्यूं , चुनावैकि बहार देखण में लागि भयूँ , 



सुवैलि आपुण लाल ठूँग मलि करि बेर  कौ थें पूँछछ " कस रे कवा  ?  तेकनि  जै बडि  अकल छ , फसक मारण हूँ हमें रई गयां , नीच जागन में ठूँग मारणी  तू , तस  विद्वान कसी हई गए ?



कवैलि  चिढ़बेर सुआ कैं उत्तर दे ," लाल ठूँग हुनैलि क्वे ठुल नि हुन ! , जब अमेठि  में प्रियंकालि  मोदी थें नीच राजनीति  कौ छ त , मोदियैलि  ऊकणी  ऐस इश्यू बणा कि यू पी में उनर पत्त साफ़  हैगे । तबै त हमार यां कूंनी , ' हरे पंख मुख लाल सुआ , बोलियाँ जिन बोले बागाँ में '



घुघुतैलि बात बदल बेर कौ थें पूछ  " पे , दिल्ली में तु रुनेर कां भए ? वां आजकल के चलि रौ ?



कौ  :- तिहाडक भितर एक पीपलौक बोट  छू , उमें एक घोल बडांबेर रुनूँ  । 



सिटौल :- कवौक घोल ?  खि  : खि  ;: खि  !! 



कौ : बहुत खि , खि , खि  नि  कर रे सिटौला, त्योर जस नि  हान्त्यु  । 



घुघुत :- चणी  रौ रे सिटौला  ! हाँ तु बतौ रे कवा , वां दिल्ली में के चलि रॉ आजकल ?



को :- अरे ! गज़ब हई रॉ हो घुघुतज्यू, तिहाड़ाक् जतुक भाँड छन , मांड गैंण रईं आजकल  !



घुघुत :- अच्छा ! कस?? कस ?? 



को :- केजरिया बालमा  !! आओ नी , पधारो म्हारे जेल , जेल रे पधारो म्हारे जेल  ! 



घुघुत :- और दुसर जागन में के चलि रौ  ?



कौ :- दिल्ली में आजकल , मोदियौक चहां , राहुलैकि टौफी  और केजरियौक चनकाट  चलि रौ  । अब में हिटनूँ  हो घुघुतज्यू, सामुणी घर में आज पुज छ , बाँमणि आज खीर और बाड़ पकूनेर  छ , पूजाक बाद पाख में म्यार लिजी ले धर दिनी , अब बखत है गौछ , पुंजण  जाणै सुखि नि जाओ  बज्यूण  । 



सुआ :- होय , होय जा पैं , जुठ - पिठ  खाँण त्यार करम में भै  ! 


सिटौल :- जो बामणि वां त  खीरैकि गास खांणी जाणौं , वीक घर जो दुधि दूध लिजां , ऊ यो बाटै जांछ , पोरबेई मैंलि देखौ आपुनि साइकिल वील यो बोटाक मुणी ठाडि  करी दूधक केन  बटी वीक ढक्कन निकालि , फिर सामुंणी  ताल तरफ यो जा , उ जा , शायद जोरैकि लागि भै ,  थ्वाड़ देर में देखनूँ , ढक्कन में तालौक  पाणि  ले बेर केन में खित देछ , अब उ दूधैकि खीर बनूंनि  या शिब्ज्यू में चढूनी , हर हर गंगे ,

को : आपुंणि तिक्ख ठूँगैलि तेरि मुनई यस कटकै द्यूंल नै , सार आंग में खुन्योल है जालि  !!! 

सिटौल : औ पै  ! औ , कुकुरी च्यला , देखनू  तेरि ठूँग ले ,,,,

और हांगन में द्विनांक बीच महायुद्ध छिडि  गे , यो हांग बटी ऊ हांग , सार बोट में  चड़नक कुकाट मचि गे , लड़ने  लड़ने , द्वियै तालिके घुरूनी  म्यर मली भद्द कै बेर खिती गईं  । अलबलाइबेर  मैं उठ्यूं , सामुणी  देखौ घरवळि ठाडी  !! तौ के हैरो  तुमन कनि , तो बड़क बोटाक तली पड़इयै रौला , किलै घर में जाग नि हैतिन ? 

अब चाड़नेकि बात मैंकनि नि सुणाई दिनै , घरवळि थें मैंलि कयो  " ऊ बाबाज्यूकि दवाई फिर दियौ धैं , बड़ आराम मिलौ कूंछा "

अब तनैलि  हदद करि दे , कुनेर भै  " को बाबा ? कस दवाई ?भल पगली गया तुम त  ! जरौक तस  बड्बोलेट के भै  ? घर हिटौ , तुमन कनि डॉक्टर सैप कं दिखूँण पङल  । 

ति 





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