टर्र ,,,टर्र ,,कै बेर घंटी बाजि , भ्यार निकलि बेर देखौ ,मोल थें एक बाबाजी आई भै , " बच्चा ! बाबा को कुछ खाने को दे, एक गिलास पानी पिला ! " मैंकण गुस्स ऐगे कुंछा , मैंल कयो, " अघिल हूँ जाओ बाबाज्यु , याँ तुमन हूँ के नि पकै राखौ " पर पछिल बटी घरवळि ऐगे , धर्मपरायण भै , त वील द्वि रवाट और पांणि बाबाज्यून कै खवै दे , खाई पी बेर बाबाज्यू जब हिटण लागि त आपुंणि पुन्तुरि बटी एक हल्दक जस गाँठ निकालि बेर घरवळि हाथ में देछ , फिर कूँण लागि , " ब्वारी ! जब मन उदासी जालो त येक एक टुकुड मुुंख में धरि लिए फिर देखिये येक चमत्कार ! ! "
भितर एबेर , इनैलि ख्वारपीड़ करी दे कूंछा , " तुम त सदा तस्सै करछा , कभै को के रूपी ऐ रूँछ , के पत्त लागों ? खिसै बेर मैंलि कयो , " आजकलाक बाबानक के कई जाऔ , आदुक जेल में छन , आदुक भ्यार रणी रईं " खैर , तौ रिसै बेर भितर न्हैगे ।
कुछ दिनन बाद मैंकण जर जस आई भै , के काम में मन नि लाग्नेर भै , दवाई चलिये भै , पर इनन कै फिकर जसि लागि , बाबाज्यूक दिई , गाँठ बटी एक टुकुड तोड़ि बेर , मैंथैं कयो "एकैं मूंख में धरौ , तुमन आराम मिलौल ! " स्याप और छछूँदरैक जसि गति हैगे कूँछा , खाऔ त मन में विशवास नि भै नि खाऔ त यो नाराज , अब के कई जाऔ महराज ! फिर मैंलि विचार करौ , चलो भ्यार हिट दिनूँ , झगड़ में के फैद ?
भ्यार ऐ बेर बड़क बोटक तली बैठि गयूं । थ्वाड़ देर में उ टुकुड याद ऍ , मैंलि मूँख मैं धरौ , मूंख में धरण जानेंकि देर भै , म्यार कानन में स्यां - स्यां, सुर्र -सुर्र हूणि बैठ , खोर रिटण जस लागि , परभंग जस हई गयूं कूंछा । थ्वाड़ देर में जब रिंगै कम भई त बड़ाक बोट में बैठी चाड़नेकि आवाज़ सुणी । ओ बौज्यू हो !!! यो तौ उसीकै बलाण लागि रईं , जसिक हम बलानू !!! गज़ब माया छ भाई !!! नानछना इज काथ सुनून नेर भै , " कौ सुआ काथ कौ , के कूँ काथ सारंगी , निर्बुद्धि राजैकि काथे काथ "
मली , हांगन में बैठी चाड़नाक क्वीड़ हई भै कूँछा , सबनैकि क्वां क्वां लागि भै , क्वे दुसर कें बालाण नि दिनेर भै । जस हमार सैंणी करनी उसै हई भै , तब सबनहै मलि हाँग में बैठी सिटौल हकाहाक करण लागि " कौ ऐगो , कौ ऐगो !! तबजानेर कौ आपुण पाखन समेटि बेर एक हाँग में बैठि गै ।
घुघुतैलि आपुण ठूँग आपुण पाँखन में रगड़ी बेर कौ तरफ चाछ , फिर कौ थें पुछण बैठि ," किलै रे कवा ? मूंख में मोस लिपि बेर एतुक दिनन बाद कां बटी ऊनौ छै ? "
कौ :- अरे के नि पुछौ हो घुघुतज्यू , दिल्ली में छ्यूं , चुनावैकि बहार देखण में लागि भयूँ ,
सुवैलि आपुण लाल ठूँग मलि करि बेर कौ थें पूँछछ " कस रे कवा ? तेकनि जै बडि अकल छ , फसक मारण हूँ हमें रई गयां , नीच जागन में ठूँग मारणी तू , तस विद्वान कसी हई गए ?
कवैलि चिढ़बेर सुआ कैं उत्तर दे ," लाल ठूँग हुनैलि क्वे ठुल नि हुन ! , जब अमेठि में प्रियंकालि मोदी थें नीच राजनीति कौ छ त , मोदियैलि ऊकणी ऐस इश्यू बणा कि यू पी में उनर पत्त साफ़ हैगे । तबै त हमार यां कूंनी , ' हरे पंख मुख लाल सुआ , बोलियाँ जिन बोले बागाँ में '
घुघुतैलि बात बदल बेर कौ थें पूछ " पे , दिल्ली में तु रुनेर कां भए ? वां आजकल के चलि रौ ?
कौ :- तिहाडक भितर एक पीपलौक बोट छू , उमें एक घोल बडांबेर रुनूँ ।
सिटौल :- कवौक घोल ? खि : खि ;: खि !!
कौ : बहुत खि , खि , खि नि कर रे सिटौला, त्योर जस नि हान्त्यु ।
घुघुत :- चणी रौ रे सिटौला ! हाँ तु बतौ रे कवा , वां दिल्ली में के चलि रॉ आजकल ?
को :- अरे ! गज़ब हई रॉ हो घुघुतज्यू, तिहाड़ाक् जतुक भाँड छन , मांड गैंण रईं आजकल !
घुघुत :- अच्छा ! कस?? कस ??
को :- केजरिया बालमा !! आओ नी , पधारो म्हारे जेल , जेल रे पधारो म्हारे जेल !
घुघुत :- और दुसर जागन में के चलि रौ ?
कौ :- दिल्ली में आजकल , मोदियौक चहां , राहुलैकि टौफी और केजरियौक चनकाट चलि रौ । अब में हिटनूँ हो घुघुतज्यू, सामुणी घर में आज पुज छ , बाँमणि आज खीर और बाड़ पकूनेर छ , पूजाक बाद पाख में म्यार लिजी ले धर दिनी , अब बखत है गौछ , पुंजण जाणै सुखि नि जाओ बज्यूण ।
सुआ :- होय , होय जा पैं , जुठ - पिठ खाँण त्यार करम में भै !
सिटौल :- जो बामणि वां त खीरैकि गास खांणी जाणौं , वीक घर जो दुधि दूध लिजां , ऊ यो बाटै जांछ , पोरबेई मैंलि देखौ आपुनि साइकिल वील यो बोटाक मुणी ठाडि करी दूधक केन बटी वीक ढक्कन निकालि , फिर सामुंणी ताल तरफ यो जा , उ जा , शायद जोरैकि लागि भै , थ्वाड़ देर में देखनूँ , ढक्कन में तालौक पाणि ले बेर केन में खित देछ , अब उ दूधैकि खीर बनूंनि या शिब्ज्यू में चढूनी , हर हर गंगे ,
को : आपुंणि तिक्ख ठूँगैलि तेरि मुनई यस कटकै द्यूंल नै , सार आंग में खुन्योल है जालि !!!
सिटौल : औ पै ! औ , कुकुरी च्यला , देखनू तेरि ठूँग ले ,,,,
और हांगन में द्विनांक बीच महायुद्ध छिडि गे , यो हांग बटी ऊ हांग , सार बोट में चड़नक कुकाट मचि गे , लड़ने लड़ने , द्वियै तालिके घुरूनी म्यर मली भद्द कै बेर खिती गईं । अलबलाइबेर मैं उठ्यूं , सामुणी देखौ घरवळि ठाडी !! तौ के हैरो तुमन कनि , तो बड़क बोटाक तली पड़इयै रौला , किलै घर में जाग नि हैतिन ?
अब चाड़नेकि बात मैंकनि नि सुणाई दिनै , घरवळि थें मैंलि कयो " ऊ बाबाज्यूकि दवाई फिर दियौ धैं , बड़ आराम मिलौ कूंछा "
अब तनैलि हदद करि दे , कुनेर भै " को बाबा ? कस दवाई ?भल पगली गया तुम त ! जरौक तस बड्बोलेट के भै ? घर हिटौ , तुमन कनि डॉक्टर सैप कं दिखूँण पङल ।
इति
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